यहाँ भगवान पार्श्वनाथ की सातिशय प्रतिमा लगभग 1500 वर्ष पुरानी है। 1008 सर्पफणों से सुशोभित होने के कारण यह प्रतिमा सहस्रफणी कहलाती हैं। हर फण भीतर से जुड़ा होने के कारण अभिषेक का जल या दूध हर फण से उतरते हुए मूर्ति को अभिषिक्त करता है। क्षेत्र पर मन्दिर जीर्णोद्धार के साथ अनेक विकास योजनाएँ प्रगति पर हैं। यहाँ कई दर्शनीय स्थल हैं जिनमें गोल गुम्बज प्रमुख है। उत्खनन करते समय भगवान महावीर की चतुर्थ काल की एक प्राचीन मनोज्ञ प्रतिमा प्राप्त हुई, जो पद्मासन मुद्रा में है।
वार्षिक मेला एवं विशेष आयोजन की तिथि : पौष बदी एकादशी श्रावण शुक्ल सप्तमी