आचार्य श्री कल्याणसागरजी महाराज की प्रेरणा से क्षेत्र का निर्माण हुआ है। आचार्य श्री की समाधि स्थली भी यही है। इस साधना केन्द्र पर णमोकार महामंत्र का जाप करने से बड़ा आनन्द प्राप्त होता है एवं विघ्न बाधाओं से मुक्ति मिलती है। यहाँ वृद्धाश्रम, संत – निवास, शिक्षण संस्थान है।
वार्षिक मेले : श्री पार्श्वनाथ जयन्ती अष्टान्हिका पर्व – आषाढ़ शुक्ल अष्टमी को प्रति वर्ष मनाया जाता है तथा विशेष आयोजन भी होता है।