क्षेत्र का पुराना नाम मधुपुरी था। यहाँ 1000 वर्ष पुराना मन्दिर है, लकड़ी के खम्बों के लेख से पता चलता है कि यहाँ भट्टारक की गद्दी थी। यह क्षेत्र समतल भूमि पर नदी के किनारे स्थित है।
अन्य :
1. वर्ष 1996 में श्री आचार्य श्री विद्यासागर महाराज ने चातुर्मास लिया था।
2. यहाँ पर प्रतिमाह सुदी एकम् को अभिषेक होता है।
विशेष जानकारी :
यहाँ के मूलनायक भगवान विघ्नहर पार्श्वनाथ की मूर्ति, जो कि रेत से निर्मित है, अतिशयकारी है। मूर्ति के प्रति लोगों की अगाध श्रद्धा है। (जैन एवं जैनेतर श्रद्धालुओं का निरन्तर आना जाना लगा रहता है)। यहाँ दर्शन करने से विघ्न दूर हो जाते हैं।