यह क्षेत्र 600 वर्ष प्राचीन है, लेकिन सन् 1987 से यह क्षेत्र प्रकाश में आया है। एक मुस्लिम व्यक्ति अपने घर की नींव के लिये पत्थर निकाल रहा था, तो वह जमीन में धंसने लगा। उसे निकालने पर एक भूयार दिखा जिसमें 21 प्रतिमाएँ विराजमान थीं। भगवान पद्मप्रभु व पार्श्वनाथ की प्रतिमाएँ अतिशय युक्त है। सह्याद्री की पहाड़ी से घिरे इस क्षेत्र में 12 फीट ऊँची भगवान बाहुबली की प्रतिमा शीघ्र ही विराजमान होने जा रही है। पूर्व में इस तीर्थ क्षेत्र का नाम जैनगिरी था। सन् 1997 में आचार्य देवनंदीजी ने सभा में बताया कि क्षेत्र का नाम ‘जैन अतिशय क्षेत्र जैनगिरि’ जटवाड़ा, ऐसा होगा। तब से नाम जैनगिरी कहलाने लगा। पहाड़ पर बाहुबली भगवान की प्रतिमा है। चौबीसी मंदिर तथा तीन मूर्तियाँ भगवान आदिनाथ, भगवान भरत एवं भगवान बाहुबली की हैं।