इस क्षेत्र से 7 बलभद्र और आठ करोड़ मुनि मोक्ष गये हैं। धर्मशाला स्थित जिनालय में मूलनायक प्रतिमा भगवान महावीर की है। पर्वत की ऊँचाई 400 फीट है। पर्वत पर 3 गुफा मन्दिर हैं तथा 2 नवनिर्मित जिनालय हैं। यहाँ गुफाओं को ‘चामर लेणी’ कहते हैं। पार्श्वनाथ गुफा दर्शनीय है। वर्ष 1973 में 24 सितम्बर के दिन मुनि श्री सुधर्मसागरजी महाराज सल्लेखना पूर्वक अपना शरीर छोड़कर स्वर्ग सिधारे। उस अवधि में अनेक चमत्कारिक घटनाएँ हुई हैं।
वार्षिक मेला एवं तिथि : प्रतिवर्ष कार्तिक शु. त्रयोदशी-मंदिर म्हसरूल एवं पहाड़ मंदिर में मेला लगता है।
विशेष जानकारी : पहाड़ पर जाने-आने की सुविधा म्हसरूल मंदिर से शुल्क देकर उपलब्ध है। पहाड़ की पूरी व्यवस्था म्हसरूल ग्राम मंदिर से होती है।