यहां अरुणावती (एरंडोल) से 1874 ई. में भोयरे से प्राप्त करीबन 1500 वर्ष प्राचीन भगवान पार्श्वनाथ की बालुका पाषाण की मनोज्ञ अतिशययुक्त प्रतिमा विराजमान है। मनोकामना पूर्ण होती है। मंदिर में तीर्थंकर तथा अरिहंतों की छोटी-बड़ी 175 मूर्तियाँ विराजमान हैं। जिनमें भव्य सहस्त्रकूट एवं पंचमेरु भी है। आचार्य 108 श्री आर्यनंदीजी महाराज द्वारा ‘अतिशय क्षेत्र’ घोषित किया गया। मंदिर में अनेक पुरातन पाण्डुलिपियों का संग्रह सुरक्षित है। मंदिर के निकट पं. मोहनलाल गाँधी का संग्रहालय भी है।
वार्षिक मेले :
रथोत्सव तथा जल यात्रा वार्षिक महोत्सव दशलक्षण पर्व उपरान्त भाद्रपद वदी पंचमी