क्षेत्र पर करीब 1500 वर्ष प्राचीन पार्श्वनाथ भगवान की अतिशय युक्त चमत्कारी प्रतिमा है। यहां पर मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। सन् 1960 के पश्चात् विकास का कार्य प्रारंभ हुआ। यह मन्दिर दक्षिणाभिमुखी है। पूज्य मुनि श्री कुंथुसागरजी महाराज के आशीर्वाद से भगवान आदिनाथजी की भूत, वर्तमान, भविष्यत् काल की 24-24 तीर्थकरों की जिनबिम्ब देवरिया बनवाकर प्रतिष्ठा करवाई, पद्म सरोवर पर 21 फुट की पार्श्वनाथ प्रतिमा, मानस्तंभ, देवी पद्मावती माता एवं यंत्रों का भव्य निर्माण हुआ। सन् 1996 में सुमेरु पर्वत का निर्माण कर भगवान महावीर स्वामी की 9 फुट की पद्मासन प्रतिमा और चारों खण्डों की चार दिशाओं की देवरिया बनवाई। कई साधुओं की समाधि हैं। प्राचीन नंदीश्वर द्वीप है।