यह क्षेत्र तमिलनाडु में सर्वाधिक समृद्ध, विशाल एवं कलात्मक क्षेत्र है, जहाँ धातुओं की विशाल आकर्षक प्रतिमाऐं है। प्राचीन भव्य सात मंजिला प्रवेश द्वार ‘गोपुर’ में प्रवेश करने पर लम्बे-चौड़े अहाते में 5 मंदिर है-पार्श्वनाथ, नेमिनाथ एवं महावीर स्वामी मंदिर। सोलह पाषाण स्तंभों पर खड़ा ‘अलंकार मंडप’, धातु का ध्वज दंड, आकर्षक सहस्र दीप स्तंभ, विशाल हाथी द्वार आदि सभी दर्शनीय है। कलात्मक ‘गोपुर’ अन्यत्र किसी जैन मंदिर में नहीं है। मुख्य मंदिर के मूलनायक भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा अलौकिक एवं अद्वितीय है। काले पाषाण से निर्मित इस प्रतिमा के साथ चौबीसी भी है। साथ ही साथ पाषाण पर ही उत्कीर्ण अष्ट प्रातिहार्य आकर्षक है। पाषाण पर ही सिंहमुखी आसन पर श्रीजी विराजमान है। प्रतिमा के पिछले भाग पर श्रुत-स्कन्ध यंत्र अंकित है। मलईनाथ मंदिर, चट्टान पर बाहुबली, पार्श्वनाथ और नेमिनाथ तथा धर्मदेवी की प्रतिमाएं उकेरी गई है। पांचवी सदी की रचना है, अब इसे मंदिर का रूप दे दिया गया है। जैन मठ में रत्नों की प्रतिमायें है तथा ताड़ पत्रों पर ग्रंथों का शास्त्र भंडार है। पार्श्व प्रभु पीठ सहित, रजत के हैं, ऐसी मूर्ति अन्यत्र नहीं है।
विशेष – यहाँ जैन धर्म एवं संस्कृति को पाषाण पर विशाल स्तर पर दर्शाया गया है, जो अन्यत्र नहीं है। शिल्पकला इतनी आकर्षक है कि इस पर शोध किया जा सकता है।