वहलना का प्राचीन नाम ‘बेहरानगर’ था। लगभग 200 वर्ष पूर्व बेहरा नगर एक बड़ा नगर था जहाँ 300 जैन परिवार रहते थे एवं भगवान पार्श्वनाथ का भव्य जिनालय था। मूर्ति श्वेत पाषाण की नौ फणवाली भगवान पार्श्वनाथ की अति सुन्दर एवं अतिशययुक्त है। उपाध्याय 108 श्री नयनसागरजी मुनिराज की प्रेरणा से भगवान पार्श्वनाथ की 31 फुट ऊँची खड्गासन प्रतिमा एवं त्रिकाल चौबीसी स्थापित है।
विशेष जानकारी :
क्षेत्र पर 57 फीट ऊँचा मानस्तम्भ, पाण्डुक शिला एवं महावीर बाल वाटिका है। तीन समाधियाँ मुनिराज सुपार्श्वसागरजी, श्री बोधसागरजी संघस्थ आचार्य श्री धर्मसागरजी (1975), मुनि श्री चारित्रभूषणजी (2002) की हैं। श्री चतरसैन जैन मेमोरियल प्राकृतिक 20 बेड चिकित्सालय, योग एवं शोध संस्थान, पार्श्व नौका विहार, अश्व वन, तीर्थंकर केवली वृक्ष वाटिका, ध्यान केन्द्र, हरियाली फव्वारें आदि सुन्दर रमणीय स्थान है।
वार्षिक मेले :
2 अक्टूबर, 18 अप्रैल, पार्श्वनाथ निर्वाण महोत्सव