रट्ट राजवंश के राजाओं द्वारा निर्मित भगवान पार्श्वनाथ की ध्यानमग्न पद्मासन प्रतिमा 4 फीट ऊँची 1100 वर्ष प्राचीन, अति सुन्दर एवं मनोहारी हैं। देखने वालों को ऐसा प्रतीत होता है कि साक्षात तीर्थंकर मौन व्रत धारण कर तपस्या में जीवंत बैठे हुए हैं। सन् 1989 में आचार्य श्री श्रुतसागरजी मुनि महाराजजी ने भगवान की प्रतिमाजी को गुफा के ऊपरी भाग में प्रतिष्ठापित करवाया। प्रतिमा की महिमा बहुत है। आज भी अनेक अतिशयकारी घटनायें देखने को मिलती हैं।
विशेष जानकारी : प्रति वर्ष माघ शुक्ल 5 से 7 तक रथयात्रा महोत्सव मनाया जाता है।