म.प्र., राजस्थान सीमा एवं अरावली पर्वत श्रृंखला की तलहटी पर स्थित यह स्थल 1100 वर्ष प्राचीन है। चतुर्थ काल की चौबीसी एवं मनोहारी चमत्कारी प्रतिमा है। जिनालय के गर्भगृह में वेदियाँ हैं। एक सुरंग का गन्तव्य अज्ञात है। गर्भगृह में एक प्राचीन शिलालेख होने से ऐतिहासिक संकेत उभरे हैं। शिलालेख एवं किंवदन्ती के अनुसार यहाँ भगवान चन्द्रप्रभु की प्राचीन प्रतिमा होनी चाहिये। संभव है कि किसी तलघर में मूर्तियों का खजाना मिले। भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा क्षेत्र पर विराजित है। 40 जिन-बिम्ब विद्यमान हैं।
विशेष- मोक्ष सप्तमी पर वार्षिक मेला