यह क्षेत्र भगवान पार्श्वनाथ की देशनास्थली, सुप्रतिष्ठित केवली की निर्वाणस्थली होने के साथ पर्वत पर 26 जिनालयों के अन्दर छोटी बड़ी डेढ़ हजार से अधिक मूर्तियाँ हैं। गुफा नं. 10 में भगवान पार्श्वनाथ की पद्मासन 42 फुट ऊँची, 30 फुट चौड़ी संसार की सबसे विशाल पद्मासन प्रतिमा विराजमान है। सं. 1398 से सं. 1536 के मध्य पर्वत को तराशकर ये मूर्तियाँ बनाई गई थीं। मुगल आतताइयों द्वारा मूर्तियाँ खण्डित की गई। पार्श्वनाथ प्रतिमा पर वार करने पर चमत्कार हुआ एवं विध्वंसक भाग गये। क्षेत्र की प्राचीनता एवं पुरातत्व के बारे में विस्तृत सर्वेक्षण कराकर कुन्दकुन्द ज्ञानपीठ, इन्दौर द्वारा सचित्र रंगीन प्रामाणिक पुस्तक का प्रकाशन The Jain Sanctuaries of Fortres of Gwalior शीर्षक से किया गया है।
वार्षिक मेले एवं विशेष आयोजन तिथियाँ : 1. भगवान महावीर का जन्म कल्याणक- चैत्रसुदी – 13 एवं निर्वाण कल्याणक कार्तिक वदी- 30, 2. भगवान पार्श्वनाथ का जन्म कल्याणक – पौषवदी 11 एवं निर्वाण कल्याणक – श्रावण सुदी – 7, 3. वार्षिक मेला – क्वॉर बदी 4