यहाँ पर भगवान महावीर विराजे थे। पुरातत्व के दृष्टिकोण से म.प्र. में गंधर्वपुरी का अत्यन्त महत्वपूर्ण स्थान है यहाँ वहाँ बिखरी हुई जैन प्रतिमाएँ, इस बात की द्योतक हैं कि यहाँ एक बड़ा नगर एवं व्यापारिक स्थल रहा होगा। पूर्व में तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. कैलाशनाथ काटजू ने यहाँ पुरातत्व संग्रहालय की स्थापना करवाई। एक मूर्ति 12 फुट लम्बी एवं 4 फुट चौड़ी है। चूने एवं पतली ईंट का बना मंदिर लगभग 250 वर्ष पुराना है। इस मंदिर में मूलनायक प्रतिमा भगवान पार्श्वनाथ की है, जो कि संकट हरण गंधर्वपुरी पार्श्वनाथ के नाम से प्रसिद्ध है। खुदाई करने पर पत्थर के बने हुए मंदिर एवं सीढ़ियाँ मिलती हैं। यहाँ पुरातत्त्व पर शोध करने के लिए भी बाहर से अनेक विद्वान आते रहते हैं।
वार्षिक मेला : पौष बदी ग्यारस के दिन भगवान पार्श्वनाथ जन्मोत्सव पर वार्षिक मेला लगता है ।