पांडवों के तोमरवंशीय शासकों ने यहाँ 1153 ई. तक राज्य किया । इस काल में यहाँ भगवान पार्श्वनाथ व अन्य तीर्थंकरों के भव्य मन्दिर थे। तुर्क लुटेरों से बचाने के लिये प्रतिमाओं को भूमिगत कर दिया गया । यहाँ किले से अष्टधातु की 57 अमूल्य प्रतिमाएँ प्राप्त हुई हैं। सभी प्रतिमाएँ 8वीं से 10वीं शताब्दी के बीच की होने का अनुमान है। 40 बड़े आकार की व 17 छोटे आकार की मूर्तियाँ हैं। 19 प्रतिमाएँ भगवान पार्श्वनाथ की अति सुन्दर एवं मनोहारी हैं। प्राचीन बड़ा मंदिर 350 वर्ष पूर्व बना है। एक कांच का सुन्दर मंदिर भी है। नगर में तीन अन्य मंदिर भी हैं।